रिपोर्ट: अंजलि सिंह राजपूत
लखनऊ: लखनऊ के कैसरबाग में बनी जनरल वाली कोठी। यह गोमती नदी के तट पर है। इतिहास के अनुसार इस कोठी का निर्माण अवध के छठे नवाब नवाब सआदत अली खान ने 1798 से 1814 के बीच करवाया था। इस कोठी को जनरल वाली कोठी कहा जाता है क्योंकि नवाबों के दौरान यह परंपरा थी कि नवाब अपने सबसे बड़े बेटे को शासक बनाएगा।
वहीं छोटे बेटे को लश्कर प्रमुख यानी लश्कर प्रमुख बनाया गया। सेनाध्यक्ष जो भी होता इस कोठी में रहता था। लोग इस कोठी को उस समय जनरल जी की कोठी कहते थे। इसलिए इस कोठी का नाम जनरल वाली कोठी है। 1857 के युद्ध में अंग्रेजों ने लखनऊ के इस किले को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया था। इस कोठी पर कब्जा करने के लिए अंग्रेजों ने आक्रमण किया। इस हमले में कई राजघरानों की मौत हो गई थी। इसके बाद बचे हुए लोग भाग गए। केवल महिलाएं ही बची थीं। कहा जाता है कि इस कोठी पर हमला बहुत भीषण था।
एंट्री फ्री है
दिलचस्प बात यह है कि यह कोठी घूमने के लिए पूरी तरह से फ्री है, लेकिन जानकारी के अभाव में यहां बहुत कम लोग आते हैं।आपको यहां की वास्तुकला देखने को मिलेगी। पूरी कोठी यूरोपीय वास्तुकला पर बनी है। इतिहासकारों के अनुसार इस कोठी को नवाब ने अंग्रेजों को दिखाया था। क्योंकि अंग्रेज यहां सभी इमारतों में मेहमान बनकर आते थे। इस कोठी को देखने के बाद अंग्रेज परेशान हो गए और इस कोठी पर कब्जा करने की योजना बनाने लगे।
गौरवशाली इतिहास
इतिहासकार रवि भट्ट ने कहा कि जनरल की कोठी दो मंजिला इमारत है।क्रांति के दौरान क्रांतिकारियों का गढ़ होने के कारण यह कोठी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी। उन्होंने कहा कि नवाब हमेशा इस परंपरा का पालन करते थे कि बड़े बेटे को गद्दी दी जाती है और छोटे बेटे को सेना प्रमुख बनाया जाता है। इस कारण इसका नाम जनरल वली के लिए उपयुक्त है क्योंकि इसमें आम लोग रहते थे। उन्होंने कहा कि जनरल वाली कोठी को वह पहचान नहीं मिल पाई, जो लखनऊ के अन्य भवनों को मिली है।
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प्रथम प्रकाशित: 28 जुलाई 2022, 21:20 IST